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साह्स के सफर
जम्मू एवम कश्मीर लाइट इन्फैन्ट्री का इतिहास
भारत माता की सुरक्षा में 1947 के निश्चित एवं असमजंस बिगुलनाद में कश्मीर के प्रत्येक पुरूष महिला एवं युवा ने स्वैच्छिक रूप से अपनी सहभागिता दी थी। इसी परिपे्रक्ष्य में सभी इच्छुकों ने लेह से साम्बा तक प्लाटून एवं कम्पनी के रूप में अपनी प्रतिभागिता दिखाई। जिसके फलस्वरूप् स्वतः अनन्य और भविष्य की दूरदृष्टिृ से परिपूर्ण वर्तमान की जम्मू कश्मीर लाइट रेजीमेंट का प्रादुर्भाव हुआ।
स्वतः स्वैच्छिक सेना जो हिम्मत, राष्ट्भक्ति एवं कर्मठता से ओतप्रोत रही, लगातार, बिना थके और बिना विश्राम किये भारत की सीमा सुरक्षा में 1972 तक अपने सभी अधिकारो से वंचित रहकर अन्य भारतीय सेना की अपेक्षा में अवहेलना के बावजूद डटी रही। 1973 दिसम्बर में ’जम्मू और कश्मीर लाइट रेजीमेण्ट’ को भारतीय थल सेना से जोडा गया और इस तरह एक स्वैच्छिक सेना अपने अधिकारों के पूर्णत्व को प्राप्त कर सकी।
वर्तमान में 16 नियमित बटालियन, 02 सीमा सुरक्षा और प्रत्येक राष्ट्ीय राइफल बटालियन में अनिवार्य जम्मू कश्मीर ली-टूप संयुक्त आज जम्मू एवं कश्मीर ली रेजीमेन्ट अद्वितीय रूप से प्रभावशाली हैं। इस रेजीमेन्ट की सभी बटालियन आज, अपनी अद्भुत सैन्य शक्त्ति से शांति और युद्व दोनों ही भूमिकायेें भारते के प्रत्यें कोने से लेकर अन्र्तराष्ट्ीय स्तर पर संयुक्त राष्ट् मिशन के अन्र्तगत निर्भिक रूप से निष्पक्षता से प्रतिभागी है। फिर वो सियाचीन की बर्फीली चढाई, थार का अंतहीन मरूस्थल, नागालैंड-मनीपुर के भयावह जंगल या अण्डमान निकोबार दीपों को दुर्गम आंतरिक सुरक्षा मामला हो जाकली (श्र।ज्ञस्प्) सैन्य राष्ट्ीय स्तर पर भारतीय नौ सेना और भारतीय वायु सेना के साथ और अन्र्तराष्ट्ीय रूप से संयुक्त राज्य के ध्वज तेल कठिनतम मिशन में विदेशी सैन्य क्षमताओं के साथ भी अपने उद्वेश्यपूर्ण सफल अभियान में पूर्ण सामथ्र्य से तत्परता पूर्वक संलग्न है।
कहना अतिशयोक्ति नहीं हेागा कि पूर्ण को ऐच्छिक राष्ट्भक्त्ति से ओतप्रोत सैन्य आज, विश्व की आधुनिकतम, सशक्त अनिवार्य भारतीय जम्मू एवं कश्मीर लाईट रेजीमेण्ट के रूप मंे स्थापित है।
जम्मू एंव कश्मीर सैन्य इतिहास प्रथम 1970 में मेजर सीता राम जौहरी (रिटायर्ड) ने अपनी लेखनी में मुख्यतः बार्डर संयोजन के रूप में उतारा था। जबकि इसका दूसरा अंक लैथ्ट. जनरल (डा0) एम. एल. छिब्बर, पीवी एसएम, एवीएसएम ने 1970 में पुनः प्रकाशित किया था। प्रस्तुत अंक जम्मू एवं कश्मीर लाईट रेजीमेंट के लगातार गौरवपूर्ण इतिहास को सरल, प्रचलित, जनसामान्य की भाषा में अधिक व्यापक रूप में दुहराने का प्रयास है।